nikala mujhko zannat se
fareb-e-zindgi de kar..............
diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
Saturday, January 17, 2009
हम कुछ कह्ते नहीं दर्द फिर भी छुपाये रखते हैं आपसे मिलने के ज़ज्बात अब भी दिल में संजोये रखते है कया हुआ अगर तुम कहीं दूर हो प्यार तो सीने में दबाये रखते है चाहत पर कोई जोर नहीं तुम्हे चाहने की इजाज़त हम फिर भी बनाये रखते है
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