ख्याल कीजिये, कया काम आज मैंने किया
जब उनने दी मुझे गाली, सलाम मैंने किया
कहा यें सबर ने ... दिल से ..."कि लो खुदा हाफिज़"
"के हक-ए-बंदगी अपना, तमाम मैंने किया"
झिड़क के कहने लगे ... "लब चले बहुत अब तुम्हारे"[ज्यादा बोलना]
कभी जो भूल के उनसे, कलाम[बहस] मैंने किया
हवस[इच्छा] यह रह गयी, साहीब ने ... पर कभी ना कहा ...
"के आज से तुझे,'इंशा' ... गुलाम मैंने किया"
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