Sunday, January 18, 2009

kaif bhopali ki shayyiri

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है
तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है
आग का कया है पल दो पल में लगती है
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है
सच तो यें है फूल का दिल भी छलनी है
हँसता चेहरा एक बहाना लगता है

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