nikala mujhko zannat se
fareb-e-zindgi de kar..............
diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
Tuesday, March 17, 2009
कल सुबह ये जिंदगी जो ना रही ! तमाशा देखेंगे अपने और पराये भी वो गैर है तो गैर बनना भी सीख ले यादों में आ के बार बार आजमाये भी ! कहता है दुनिया को छोड़ देगा, हमें मुड के देखे बार बार, घबराये भी
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