Tuesday, March 17, 2009

कितनी मुश्किल से कटी कल की मेरी रात ना पुछ
दिल से निकली हुई होंठो में दबी बात ना पूछ
वो किस अदा से मेरे सामने से गुज़रा अभी
किस तरह मैंने संभाले मेरे जज़्बात ना पूछ
वक़त जो बदले तो इंसान बदल जाते है
कया कया नहीं दिखलाते ये गर्दिशे हालत ना पूछ
वो किसी का हो भी गया और मुझे खबर ना हुई
किस तरह उसने छुडाया है मुझसे हाथ ना पूछ
इस तरह पल में मुझे बेगाना कर दिया उसने
किस तरह अपनों से खायी है मैंने मात ना पूछ
अब तेरा प्यार नहीं है तो सनम कुछ भी नहीं
कितनी मुश्किल से बनी थी दिल की कायनात ना पूछ !

No comments:

Post a Comment

wel come