सामने है जो उसे लोग बुरा कह्ते हैं
जिसको देखा ही नहीं उसको खुदा कह्ते हैं
जिंदगी को भी सिला कह्ते हैं ... कहने वाले
जीने वाले तो गुनाहों की सज़ा कह्ते है
फांसले उम्र के कुछ और बढा देती है
जाने क्यूँ लोग उसे फिर भी दवा कह्ते हैं
चंद मासूम से पत्तों का लहू है 'फ़कीर'
जिसको महबूब के हाथों कि हिना कह्ते हैं
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