Tuesday, March 17, 2009

nida fazli ki shayyiri

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहां भी
अल्लाह निगेहबान यहाँ भी है वहां भी
खूंखार दरिंदों के फ़क़त नाम अल्लग हैं
रहमान की कुदरत हो के, भगवान की मूरत
हर खेल का मैदान यहाँ भी है वहां भी
हिन्दू भी मज़े मज़े में है, मुसलमां भी मज़े में
इन्सान परेशान यहाँ भी है वहां भी
उठता है दिल-ओ-जान से धुंआ दोनों तरफ ही
ये मीर का दीवान यहाँ भी है वहां भी !

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