Thursday, April 16, 2009

जमीं पर चलता हूँ तो जमीं भी बेवफा लगती है
साँस लेता हूँ हो तो जख्मों को हवा लगती है
कभी राजी तो कभी खफा लगती है
जिंदगी तू ही बता कि तू मेरी क्या लगती है

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