Friday, April 17, 2009

umar ansaari ki shayyiri

यें जाम, यें साग़र, यें सहबा, सब[तुच्छ]हैं उस मय के आगे
जो दिल से उंडेली जाती है नज़रों से पिलाई जाती है

No comments:

Post a Comment

wel come