Friday, May 22, 2009

akhtar ki shayyiri

मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ
मेरे सादा दिल तुझ को मग़रूर कर दूँ
तेरे दिल को मिलने की खुद आरजू हो
तुझे इस कदर गम से रंजूर कर दूँ
मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से
जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ
मोहब्बत के इकरार से शर्म कब तक
कभी सामना हो तो मजबूर कर दूँ
ये बे रंगियां कब तक ए हुस्न-ए-रंगीन
इधर आ, तुझे इश्क़ में चूर कर दूँ
तू गर सामने हो तो मैं बेखुदी में
सितारों को सजदे पे मजबूर कर दूँ
नहीं ज़िंदगी को वफ़ा वरना अख्तर
मोहब्बत से दुनिया को मामूर कर दूँ

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