बात कम कीजिये, ज़हानत को छुपाते रहिये
अजनबी शहर है ये, दोस्त बनाते रहिये
दुश्मनी लाख सही, ख़तम न कीजिये रिश्ता
दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिये
ये तो चेहरे का फ़क़त अक्स है तस्वीर नहीं
इस पे अभी रंग अभी और चढाते रहिये
ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है
जिस जगह रहिये वहां मिलते मिलाते रहिये
जाने कब चाँद बिखर जाये घने जंगल में
अपने घर के दर-ओ-दीवार सजाते रहिये
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