Friday, May 22, 2009

jaun elia ki shayyiri

हम अपने आप पे भी ज़ाहिर कभी दिल का हाल नहीं करते
चुप रहते हैं, दुःख सहते हैं, कोई रंज--मलाल नहीं करते
हम हार गए, तुम जीत गए, हमने खोया तुमने पाया
इन झूठी सच्ची बातों का हम कोई ख्याल नहीं करते
तेरे दीवाने हो जाते हैं, कहीं सहराओं में खो जाते हैं
दीवार--दर में क़ैद हमें अगर अहल--अयाल (परिवार-जन) नहीं करते
तेरी मर्ज़ी पर हम राज़ी हैं, जो तू चाहे वो हम चाहे
हम हिज्र कि फिकर नहीं करते, हम जिक्र--विसाल नहीं करते
हमें तेरे सिवा इस दुनिया में किसी और से कया लेना-देना
हम सब को जवाब नहीं देते, हमसे सवाल नहीं करते
ग़ज़लों में हमारी बोलता है वोही, कानों में रस घोलता है
वही बंद किवाड़ खोलता है, हम कोई कमाल नहीं करते

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