Friday, May 29, 2009

javed akhtar ki shayyiri

हर खुशी में कोई कमी सी है
हंसती आंखों में भी नमी सी है
दिन भी चुप-चाप सर झुकाए था
रात की नफ्ज़ भी थमी सी है
ख्वाब था या गुबार था कोई
गर्द इन् पलकों पे जमी सी है
कह गए हम किस्से दिल की बात
शहर में एक सनसनी सी है
हसरतें राख हो गई लेकिन
आग अब भी कहीं दबी सी है

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