Monday, May 4, 2009

kavi kulwant ji ki shayyiri

गज़ल - चले जाते हैं लोग

प्यार का इजहार करके क्यूँ चले जाते हैं लोग ।

कैसे जी पाते हैं वह हम तो लगा लेते हैं रोग ॥
चांद तारों को मैं जब भी देखता हूं साथ साथ,
यार मेरा लगता लौटेगा मिटाकर अब वियोग ।
कैसे भूलूँ उन पलों को साथ जो हमने बिताए,
रब की धरती पर मिला आशीष था कैसा सुयोग,
आ गले से लग ही जाओ, चंद सांसे ही बची हैं,
दो मुझे जीवन नया, अपना मिटा लो तुम भी सोग ।
याद तुमको गर नही हम, था जताया प्यार तुमने,
जिंदगी में तुम किसी के, अब न करना यह प्रयोग ।

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