तन्हा इश्क के ख्वाब न बुन
कभी हमारी बात भी सुन
थोड़ा ग़म भी उठा प्यारे
फूल चुने हैं खार भी चुन
सुख की नींदें सोने वाले
मरहूमी के राग भी सुन
किता
तन्हाई में तेरी याद
जैसे एक सुरीली धुन
जैसे चाँद की ठंडी लौ
जैसे किरणों की कुन मून
जैसे जल-परिओं का ताज
जैसे पायल की छुन छुन
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