हम भी अपने दिल में कुछ अरमान रखते है......
तू मेरी जान-ऐ-वफ़ा है यह अभिमान रखते है....
तेरी बेरुखी को भी दर_किनार रखते है......
अपनी आंखों के आंसुओं को आखों पर सजाकर रखते है.....
चाहत अपने दिल में उसके लिए बेशुमार रखते है
जिस राह से वो गुज़रे दिल निकाल के लोग हज़ार रखते है
कभी तो पड़ेगी नज़र उसकी हमारी तरफ़ भी
इसी आस में ख़ुद को हम संवार रखते है.....
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