Saturday, May 30, 2009

unknown

क्या मोहब्बत के मैदान में भी मोज़ाज़े हुआ करते हैं
जो लोग बिछड़ जाते हैं क्या वोह मिला करते हैं
रोज़ जो देखती थीं आँखें उन्को
क्या वोह दीदार फिर से हुआ करते हैं
अभी तोह मोहब्बत की कहानी शुरू हुई थी
क्या कहानी को इतनी जल्दी अंजाम दिया करते हैं
चाँद दिनों में इतनी ज़िन्दगी जी हमने
क्या सदियों का सफर इतनी जल्दी तै किया करते हैं
ये दुनिया समझती है जुदा हो गए हैं दोनों
क्या मोहब्बत करने वाले दिल से जुदा होते हैं
ये दुनिया चाहे जितना भी दूर करदे हमें
बस तुमसे मोहब्बत करते हैं और अल्लाह से दुआ करते

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