तेरी बज्म में आ जाऊं तोह करार आ जाए
मेरी वीरान दुनिया में भी बहार आ जाए
नज़र तोह उठती है पर दीदार की हिम्मत नही
डरता हूँ के मेरी किस्मत को निखार आ जाए
मुझसे लिल्लाह न छीनो मेरे होश-ओ-हवास
ऐसे न देखो के मुझको खुमार आ जाए
बाद-ऐ-बहार खिज़ा का आना लाजिम क्यूँ है
फिर कभी न उजडे ऐसी नौ-बहार आ जाए
जब रह जाना है तन्हा इन्ही राहों पर
फिर क्यों कर मुझे किसी पर प्यार आ जाए
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