दिल-ओ-जान फ़िदा-ए-राह है, कभी आ के देख हमदम
ये जफा-ए-ग़म का चारा, तेरा हुस्न दस्त-ए-ऐसा, तेरी याद रू-ए-मरियम,
दिल-ओ-जान फ़िदा-ऐ-राह है, कभी आ के देख हमदम,
सर कूव-ए-दिल फ़गरान, शब् आरजू का आलम ..........
तेरी दीद से सिवा है तेरे शौक़ में बहारां
वोह चमन जहाँ गिरी है तेरे गेसोओं की शबनम
यह अजब क़यामतें है तेरी रहगुज़र में गुजरां
न हुआ के मर मिटे हम, न हुआ के जी उठे हम
लो सुनी गई हमारी यूँ फिरे हैं दिन के फिर से
वोही गोशा-ए-कफस है, वोही फसल-ए-गुल का मातम
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