वफ़ा के वादे वोह सारे भुला गया चुप चाप
वोह मेरे दिल की दीवारें हिला गया चुप चाप
ग़म-ऐ-हयात के तकते हुए बयाबान में
हमें वोह छोड़ के तन्हा चला गया चुप चाप
नजाने कौन सा वोह बदनसीब लम्हा था
जो ग़म की आग में मुझको जला गया चुप चाप
मैं जिसको छुती हूँ फरयाल वोह ज़ख्म देता है
वोह फूल ऐसे चमन में खिला गया चुप चाप
वफ़ा के वादे वोह सारे भुला गया चुप चाप
वोह मेरे दिल की दीवारें हिला गया चुप चाप
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