Sunday, May 31, 2009

unknown

कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे
तुने आंखों से कोई बात कही हो जैसे
जागते जागते एक उमर कटती हो जैसे
जन बाकी है मगर साँस रुकी हो जैसे
हर मुलाक़ात पे महसूस यही होता है
मुझसे कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे
राह चलते हुए अक्सर ये गुमां होता है
वो नज़र छुप के मुझे देख रही हो जैसे
एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफर
जिंदगी तेज़ बोहत तेज़ चली हो जैसे
इस तरह पहरों तुझे सोचता रहता हूँ मैं
मेरी हर साँस तेरे नाम लिखी हो जैसे
कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे
तुने आंखों से कोई बात कही हो जैसे

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