Saturday, May 30, 2009

unknown

तुमने कह दिया के मुहब्बत नही मिली
मुझको तोह यह भी कहने की मोहलत नही मिली
नींदों के देश जाते कोई ख्वाब देखते
लेकिन घर में दिया जलाने से फुर्सत नही मिली
तुमको तोह खीर शेहर के लोगो का खौफ था
और मुझको तोह अपने घर से इजाज़त नही मिली
फिर इख्तिलाफ-ऐ-राये की सूरत निकल पड़ती
अपनी यहाँ किसी से भी आदत नही मिली
बेजा यूँ हुआ के तेरे अहद में हमें
सब कुछ मिला सकून की दोलत नही मिली

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