Saturday, May 30, 2009

unknown

उस के बिना अब चुप चुप सा रहना अच्छा लगता है..
खामोशी से दर्द को सहना अच्छा लगता है..
जिस हस्ती की याद में आंसू बरसते हैं..
सामने उसके कुछ न कहना
अच्छा लगता है..
मिल कर उससे बिछड़ न जाऊं डरता रहता हूँ..
इस लिए बस दूर ही रहना अच्छा लगता है..
जनता हूँ की चाहत में बस आंसू ही मिलते हैं..
कुछ भी हो अब इस ज़हर को पीना अच्छा लगता है..
जी चाहे सब खुशियाँ ले कर उस्सको दे दूँ..
उसके प्यार में सब कुछ खोना अच्छा लगता है..
उसका मिलना न मिलना किस्मत की बात है..
पल पल उसकी याद में रोना अच्छा लगता है..
उसके बिना सब खुशियाँ अजीब सी लगती हैं..
रो रो कर उसकी याद में सोना अच्छा लगता है..

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