nikala mujhko zannat se
fareb-e-zindgi de kar..............
diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
Saturday, May 30, 2009
unknown
और काँटों को लहू किसी ने पिलाया होगा हमसा दीवाना कोई इस चमन में आया होगा बे_सबब भला कौन कब उलझा है किसी से अपना गुज़रा हुआ कल याद दिलाया होगा न आया है हमसा न आएगा कोई इस दुनिया में वहम ने याद करके परदों को हिलाया होगा
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