Friday, June 5, 2009

unknown

हम न होंगे तो कौन मनायेगा तुम्हें
ये बुरी बात है हर बात पर रूठा न करो
यह और बात है के सब को जाना है लेकिन
तुम यूँ बिछड़ने की बात किया न करो
तुम से पहले कोई मंजिल न थी अपनी
बार बार दिल-अजारी मेरी तुम यूँ किया न करो
कबूल हो जातीं हैं यूँ ही कभी दुआएँ अपनी
तुम बे-इख्तियार दूर जाने की दुआ किया न करो
हम तो यूँ ही संग-तेरे जीने का सौदा कर बैठे
तुम मेरे बिन-जीने की बात यूँ क्या न करो

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