चलो के कूचा-ए-दिलदार चल के देखते हैं
किसे किसे है ये आज़ार चल के देखते हैं
सुना है ऐसा मसीहा कहीं से आया है
के उसको शहर के बीमार चल के देखते हैं
हम अपने बुत को, जुलेखा लिया है युसूफ को
है कौन रौनक-ए-बाज़ार चल के देखते हैं
सुना है दैर-ओ-हरम में वो नही मिलता
सो अब के उसको सर-ए-दर चल के देखते हैं
उस एक शख्स को देखो तो ऑंखें भरती नही
उस एक शख्स को हर बार चल के देखते हैं
वो मेरे घर का करे क़द जब तू साईं से
की क़दम दर-ओ-उसका चल के देखते हैं
'फ़रज़' असीर है इसका के वो 'फ़रज़' का
है कौन ? किस का गिरफ्तार ? चल के देखते हैं
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