क्यूँ तबीयत कहीं ठहरती नहीं !
दोस्ती तो उदास करती नहीं
हम हमेशा के सैर-चश्म सही
तुझको देखें तो आँख भरती नहीं
शब्-ए-हिज्राँ भी रोज़-ए-बद की तरह
कट तो जाती है पर गुजरती नहीं
ये मोहब्बत है, सुन...ज़माने, सुन !!
इतनी असानियों से मरती नहीं
जिस तरह तुम गुजारते हो "फ़रज़"
जिंदगी उस तरह गुज़रती नहीं
No comments:
Post a Comment