Friday, June 5, 2009

faraz ki shayyiri

क्यूँ तबीयत कहीं ठहरती नहीं !
दोस्ती तो उदास करती नहीं

हम हमेशा के सैर-चश्म सही
तुझको देखें तो आँख भरती नहीं
शब्-ए-हिज्राँ भी रोज़-ए-बद की तरह
कट तो जाती है पर गुजरती नहीं
ये मोहब्बत है, सुन...ज़माने, सुन !!
इतनी असानियों से मरती नहीं
जिस तरह तुम गुजारते हो "फ़रज़"
जिंदगी उस तरह गुज़रती नहीं

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