Thursday, June 4, 2009

faraz ki shayyiri


पेच[anger] रखते हो बोहत साज़-ओ-दस्तार के बीच
मैंने सर गिरते हुए देखे हैं बाज़ार के बीच
बाग्बानों को अजाब रंज से तकते हैं गुलाब
गुल-फरोश[seller] आज बोहत जमा हैं गुलजार के बीच
कज[crooked] अदाओं की इनायत है की हमसे उश्शाक[lovers]
कभी दीवार के पीछे कभी दीवार के बीच
तुम हो नाखुश तो यहाँ कौन है खुश फिर भी 'फ़रज़'
लोग रहते हैं इसी शहर-ए-दिल-ए-अजार के बीच

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