Friday, June 5, 2009

moen ahsan jazbi ki shayyiri

मरने की दुआयें क्यूँ मांगूं जीने की तमना कौन करे
ये दुनिया हो या वो दुनिया अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे
जो आग लगे थी तुमने उसको तो बुझाया अश्कों ने
जो अश्कों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे
जब कश्ती साबोत-ओ-सालिब थी, साहिल की तमना किसको थी
अब ऐसी शिकस्ता कश्ती में साहिल की तमना कौन करे
दुनिया ने हमें छोडा ऐ दिल, हम छोड़ न दे क्यों दुनिया को
दुनिया को समझ कर बैठे हैं अब दुनिया दुनिया कौन करे

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