Friday, June 5, 2009

murad ki shayyiri

कुछ और तो खुदा से नहीं चाहते हैं हम
तुमसे जुदा न हो यह मांगते हैं हम !
इस में भला जहाँ से डराने की बात क्या
हम हर जगह कहेंगे तुम्हे चाहते हैं हम !
लगता है यह की झील की गहराई कुछ नहीं
उनकी हसीं आँख में जब झांकते है हम !
मांगते अगर वोह जान भी हाज़िर है दोस्तों
उनकी कोई भी बात कहाँ टालते हैं हम !
वादा है उंनका रात में आने का ऐ ! 'मुराद'
हर रात इस ख्याल से अब जागते हैं हम !
कुछ और तो खुदा से नहीं चाहते हैं हम
तुमसे जुदा न हो ये दुआ मांगते हैं हम !

No comments:

Post a Comment

wel come