Thursday, June 4, 2009

nasir kazmi ki shayyiri

कौन इस राह से गुज़रता है
दिल यूँही इंतज़ार करता है
देख कर भी न देखने वाले
दिल तुझे देख देख डरता है
शहर-ए-गुल में गई है सारी रात
देखिये दिन कहाँ गुज़रता है
धयान की सीडियां[stairs] पे पिछले पहर
कोई चुपके से पाँव धरता है
दिल तो मेरा उदास है 'नासिर'
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है

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