Monday, June 1, 2009

nusrat fateh ali khan ki shayyiri

ऐ वादा शिकन ख्वाब दिखाना ही नही था
क्यूँ प्यार किया था जब निभाना ही नही था
इस तरह मेरे हाथ से दमन ना छूवाओ
दिल तोड़ के जाना था तो आना ही नही था
अल्लाह ना मिलने के बहाने थे हज़ारों
मिलने के लिये कोई बहाना ही नही था
देखो मेरे सर फोड़ के मरने की अदा भी
वरना मुझे दीवाना बनाना ही नही था
रोने के लिये सिर्फ़ मुहब्बत ही नही थी
ग़म और भी थे दिल का फ़साना ही नही था
या हमसे ना कह्ते अपने दिल की कहानी
या गोश_बर आवाज़ ज़माना ही नही था
कैसर कोई आया था मेरी बखिया_गिरी को
देखा तो गरेबान का ठिकाना ही नही था

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