ये जो दीवाने से दो चार नज़र आते हैं
इनमें कुछ साहिब-ए-असरार नज़र आते हैं
तेरी महफिल का भ्रम रखते हैं सो जाते हैं
वरना यह लोग तो बेदार नज़र आते हैं
मेरे दामन में तो काँटों के सिवा कुछ भी नहीं
आप फूलों के खरीदार नज़र आते हैं
हश्र में कौन गवाही मेरी देगा
सब तुम्हारे ही तरफदार नज़र आते हैं
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