Monday, June 8, 2009

salim kousar ki shayyiri


मैं ख्याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है
सर-ए-आइना[saamne] मेरा अक्स है, प्स-ए- आइना[behind the miroor] कोई और है
मैं नसीब हूँ किसी और का मुझे मांगता कोई और है
अजब ऐतबार और बे'ऐतबार के दरमियाँ है जिनदगी
मैं करीब हूँ किसी और के मुझे जानता कोई और है
मेरी रौशनी तेरी खद्दो-खाल[appearance] से मुख्तलिफ[different] तो नहीं मगर
तू करीब आ तुझे देख लूँ, तू वही है या कोई और है
तुझे दुश्मनों की खबर ना थी, मुझे दोस्तों को पता नहीं
तेरी दास्ताँ कोई और है मेरा वाकिया कोई और है
वही मुन्सिफों[judges] की रिवायतें, वही फैसलों की इबारतें[decision]
मेरा जुर्म तो कोई और था पर मेरी सज़ा कोई और है
कभी लौट आएं तो पूछना नहीं देखना उन्हें गौर से
जिन्हें रास्ते में खबर हुई की ये रास्ता कोई और है
जो मेरी रियाज़त-ए-नीम शब्[midnite prayer] को "सलीम' सुबह न मिल सकी
तो फिर इस के मायने तो ये हुए के यहाँ खुदा ही कोई और है

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