Thursday, June 4, 2009

taskeen qureshi ki shayyiri

अब तो यही हैं दिल की दुआएँ
भूलने वाले भूल ही जाएँ
वजह-ए-सितम कुछ हो तो बताएं
एक मुहब्बत, लाख खताएँ
दर्द-ए-मुहब्बत, दिल में छुपाया
आँख के आंसू कैसे छुपायें
होश और उनकी दीद का दावा
देखनेवाले होश में आयें
दिल की तबाही भूले नहीं हम
देते हैं अब तक उनको दुआएँ
रंग-ए-ज़माना देखनेवाले
उनकी नज़र भी देखते जाएँ
शुगल-ए-मुहब्बत अब है ये 'तस्कीन'
शेर कहें और जी बहलायें

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