साकिया तेरा इसरार अपनी जगह
तेरे मैकश का इनकार अपनी जगह
तेग अपनी जगह दार अपनी जगह
और हकीक़त का इज़हार अपनी जगह
अब खंडहर है खंडर ही कहो दोस्तों
शीश-महलों के आसार अपनी जगह
तूर पर लाख मूसा से हो गुफ्तागू
अर्श-ए-आज़म पे दीदार अपनी जगह
अव्वलन हक ने तखलीक जिस को किया
सब के बाद उसका इज़हार अपनी जगह
मुख्तसर ये बता सर बा-काफ कौन था
जीत अपनी जगह हार अपनी जगह
भाई से भाई के कुछ तकाजे भी हैं
सहन की बीच की दिवार अपनी जगह
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