Saturday, June 6, 2009

unknown

रखा है याद उसको भुलाने की बाद भी
वोह बसता है मेरे दिल मैं आज भी
गैर कर दिया मुझ को सब की सामने उसने
अपना मानता है यह दिल उसको आज भी
बड़ी मुश्किल से संभाला है ख़ुद को
दिल बेकाबू हो जाता है उस की लिए आज भी
वोह तू निकला बुहत ही बेवफा सनम
मगर मैं उसे रुसवा न कर सका आज भी
कांच की तरह टुकड़े कर दिए दिल के
आह नही निकलती होंठों से आज भी
उसकी खुशी के लिए सब सह लिया मैंने
उसको ग़मज़दा नही देख सकता आज भी
वोह तू दिल लगी समझता था यह सब
मेरे लिए दिल की लगी है यह सब आज भी
अपने से पहले मांगता हूँ दुआ उसके लिए आज भी

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