Saturday, June 6, 2009

unknown

जब हकीक़त है के हर ज़र्रे में तू रहता है
फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मन्दिर क्यूँ है
अपना अंजाम तो मालुम है सब को फिर भी
अपनी नज़रों में हर इंसान सिकंदर क्यूँ है

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