nikala mujhko zannat se
fareb-e-zindgi de kar..............
diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
Saturday, June 6, 2009
unknown
शब्-ए-हिज्राँ की अजीयत की ख़बर किसको है मेरी गुमनाम मुहबत की ख़बर किसको है किसको एहसास मेरी शिद्दत-ए-जज़्बात का है मेरे हालात मेरी वहशत की ख़बर किसको है मैंने चुप-चाप मुहबत के सितम झेले हैं मेरी इस दर्जा शराफत की ख़बर किसको है
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