वो बात बात में इतना बदलता जाता है..
के जिस तरह कोई लहजा बदलता जाता है..
ये आरजू थी के हम इस के साथ चलें..
मगर वो शख्स तो रास्ता बदलता जाता है..
रुतें विसाल की अब खवाब होने वाली है..
के इस की बात का लहजा बदलता जाता है..
रहा जो धुप में सर पर मेरे, वोही आँचल..
हवा चली है तो कितना बदलता जाता है..
वो बात कर जिसे दुनिया भी मौत्बर समझे..!!
तुझे ख़बर है ज़माना बदलता जाता है..
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