Saturday, June 6, 2009

unknown

आज मैं उससे भुलाने चला था
आज में उसे हमेशा के लिए भुलाने चला था...
उसकी यादो के निशान दिल से मिटने चला था .....
जो शक्श कभी मेरी कमजोरी हुवा करता था ........
आज उसे भुला कर अपनी ताकत दिखने चला था.....
ये फ़ैसला मैंने बड़ी आसानी से कर लिया...
उसकी हर एक याद को सिने में दफ़न कर लिया...
अब क्या बताऊ उन्हें की उस-से मेरा क्या रिश्ता जुड़ गया था.....
क्यों वो गैर मेरी जिंदगी में अपनों की तरह उतर गया था........
बहुत कोशिश की उसे वापस बुलाने की,
पर वो हमसे दूर जाता रहा......
हमारे साथ बिताया हुवे हर लम्हों की यादे वो
अपने दिल से मिटाता रहा....
एक हम ही थे जो उसे दिल के इतना करीब ल बैठे......
उसके एक साथ को अपनी जिंदगी की ज़रूरत बना बैठे.......
अब अक्सर उसे याद कर के अपनी किस्मत पे अफ़सोस बनता हु.....
रोज़ उसे भूलने की कसम खा कर खुद को ठेश पहुचता हु....
अब तो बस यही कर दिखाना हे ,किसी तरह उसकी यादो को मिटाना हे...
ये कम्बखत तनहाईँया भी तो अपनी आदत से बाज़ नही आती हे.......
आज मैं उसे भुलाने चला था...!

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wel come