Tuesday, June 2, 2009

unknown

अपने अश्कों से ख़ुद को छुपा के रोना
जब तक रोना तो चिरागों को बुझा के रोना
लोग पढ़ लेते हैं चेहरे पे लिखी तहरीरों को
कितना मुश्किल है लोगों से छुपा के रोना..

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