तुम सरे-आम मुलाकात से डरते क्यूँ हो
इश्क करते हो तो हालात से डरते क्यूँ हो
ये बताओ तो ज़रा, मेरा ख्याल आते ही
दिन से घबराते हो तुम रात से डरते क्यूँ हो
तुम तो कह्ते हो, तुम्हें मुझसे मुहबत ही नहीं
फिर जुदाई के खयालात से डरते क्यूँ हो
मुझसे ख़ुद आ के लिपट जन संभल कर हटना
तेज़ होती हुई, बरसात से डरते क्यूँ हो
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