मुझसे काफिर को तेरे इश्क ने यूँ शरमाया
दिल तुझे दे के धड़का तो खुदा याद आया
चारागर आज सितारों कि क़सम खा के बता
किसने इंसान को तबसुम[हंसी] के लिए तरसाया
नज़र करता रहा मैं फूल के जज़्बात उसे
जिसने पत्थर के खिलौनों से मुझे बहलाया
उसके अन्दर इक फनकार छुपा बैठा है
जानते-बुझते जिस शख्स ने धोखा खाया
No comments:
Post a Comment