Tuesday, March 17, 2009

देर लगी आने में तुमको, शुक्र है फिर भी आये तो !
आस ने दिल का साथ ना छोड़ा, वैसे हम घबराये तो !
चाहत के बदले में हम तो बेच ले अपनी मर्ज़ी तक
कोई मिले तो .. दिल का ग्राहक ... कोई हमें अपनाये तो !
क्यूं ! ये महारंगेज़_तब्बसुम ... मद्दा-ए-नज़र जब कुछ भी नहीं
हाय ! अगर कोई अनजान अगर इस धोखे में आ जाये तो !
नादानी और मजबूरी में ... यारों कुछ तो फर्क करो
एक बेबस इंसान करे कया ! टूट के दिल आ जाये तो ... !!!

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wel come