Tuesday, March 17, 2009

nusrat atta-ullah khan

नसीम-ए-सुबह तू इतना उन्हें बता देना
लबों पे जान है, सूरत ज़रा दिखा देना
मिला ना देना तमन्ना ये खाक में मेरी
ना हसरतों के गले पर छुरी चला देना
जनाज़ा मेरा तहबाम में आज ठहरा कर
अज़ीज़-ओ-रुख से कफ़न को ज़रा हटा देना
तुम्हारे हार के बासी जो फूल हो उनको
मजार-ए-आशिक-ए-लाशाद पर चढ़ा देना

ख्याल रखा ऐ ! मेरी मईयत उते, मेरा कोई लगदा ना रोवे
करो कफ़न दफ़न दी बहुत जल्दी, मता खबर ऐ सजन नु पोवे
ओह ! वी लाके मेहंदी सगना दी, मेरी मईयत ते आन खलोवे
खुर्शीद दा पाकी केडा सी, जे ओहदा हिक अथरू डिग पोवे

इश्क़ में हम तुम्हें कया बतायें
किस कदर चोट खाए हुए हैं
मौत ने हमको मारा है और हम
जिन्दगी के सताये हुये हैं

उसने शादी का जोड़ा पहन कर
सिर्फ चूमा था मेरे कफ़न को
बस उसी दिन से ज़न्नत की हूरयें
मुझको दूल्हा बनाये हुये हैं

जिंदगी में ना रास आई राहत
चैन से अब सोने दो लहद में
ऐ ! फरिश्तो, ना छेड़ो, ना छेड़ो
हम जहाँ के सताये हुये हैं

बिखरी जुल्फें, परेशान चेहरा
अश्क आँखों में आयें हुये हैं
ऐ ! अजल ठहर जा चंद लम्हें
वो एयादत को आयें हुये हैं

सुर्ख आँखों में काजल लगा है
रुख पे वादा सजाये हुये हैं
ऐसे आयें हैं मईयत पे मेरी
जैसे शादी में आयें हुये हैं

उनकी तारीफ़ कया पूछते हो
उम्र सारी गुनाहों में गुजरी
परसां बन रहे है वो ऐसे
जैसे गंगा नहाये हुये हैं

अलहद अपनी मट्टी से कह दे
दाग लगने ना पाए कफ़न को
आज ही हमने बदले है कपड़े
आज ही हम नहाये हुये है

दफ़न के वक़त सब दोस्तों ने
ये चुकाया मुहबत का बदला
डाल दी खाक मेरे बदन पर
ये ना सोचा नहाये हुये हैं

शराब मैं इस लिये फिलहाल नहीं पीता
कि नाप तोल कर पीना मुझे पसंद नहीं
तेरे वजूद से अंगडाई ले कर निकलेगा
वो महकदे अभी बोतल में बंद है


ना अब मुस्कुराने को जी चाहता है
ना आंसू बहाने को जी चाहता है
हसीं तेरी आँखें हसीं तेरे आंसू
बस यहीं डूब जाने को जी चाहता है

देख साकी तेरे मैकदे का
एक पुहंचा हुआ रिंद हूँ मैं
जितने आयें हैं मयीत पे मेरी
सब के सब ही लगाये हुए हैं


कया है अंजाम-ए-उल्फत पतंगों
जा के शमाँ के नज़दीक देखो
कुछ पतंगों की लाशें पड़ी है
पर किसी के जलाये हुये है


खोई खोई सी बेचैन आँखें
बेकरारी है चेहरे से जाहिर
हो ना हो आप भी शेख साहिब
इश्क कि चोट खायें हुये हैं

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