Saturday, May 30, 2009

arshad ki shayyiri

सिर्फ़ इतना नही दिल दुख कर गया
सारा जीवन वो मेरा सज़ा कर गया
जिस की तू रहा ताकता है शाम-ओ-सहर
सब हवाले वो तेरे भुला कर गया
फूल, खुसबू, चमन, चाँद, तारे, सबा
सारे साथी वोह हमसे ख़फा कर गया
तू कहाँ और ये बेवफाई कहाँ ?
ये ज़माना तुझे बेवफा कर गया
सब दरखतों पे कुछ कुछ लिखा रह गया
नाम ऐसे वोह मेरा मिटा कर गया
याद मेरी सताएगी शब् भर उससे
आज दिन भर हमें जो सता कर गया
ये भी मुमकिन है 'अरशद' न लौटे कभी
जो हमें चार दिन का बता कर गया !!!!

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