Sunday, May 10, 2009

unknown

गाहे गाहे, बस अब यहीं, हो कया ?
तुमसे मिलकर, बहुत ख़ुशी, हो कया ?
मिल रही हो, बड़े तपाक के साथ !
मुझको यक्सर[bilkul] भुला चुकी हो कया?
बस मुझे, यूँही एक ख्याल आया
सोचती हो तो, सोचती हो कया?
अब मेरी कोई जिंदगी ही नहीं
अब भी तुम, मेरी जिंदगी हो कया?
कया कहा ! इश्क जावेदानी है ?
आखरी बार मिल रही हो कया?
हाँ ! फजा, यहाँ की सोई सोई है
तो बहुत तेज़ रौशनी हो कया?
मेरे सब तंज़[arrow] बेअसर ही रहे
तुम बहुत दूर जा चुकी हो कया?
दिल में अब सोज़-ए-इंतज़ार नहीं
शम्म-ए-उम्मीद बुझ गयी हो कया?

No comments:

Post a Comment

wel come