जनता हूँ मैं तुमको पा नहीं सकता
किस कदर माय्युस हूँ बता नहीं सकता
नज़र आता है आईनों में तेरा अक्स
तेरी सूरत को मैं भुला नहीं सकता
तेरे आने की आखिरी उम्मीद है ये
इस शम्मा को मैं भुझा नहीं सकता
आंखों में ग़म के साए बैठे हैं
ज़ख्म दिल के मैं छुपा नहीं सकता
ग़मों को ज़बान दे बैठा हूँ मैं
खुशियाँ तुमको मैं अपनी नहीं दे सकता
जल जायेंगे मेरे ख्वाब इंनके साथ
मैं तेरे खतों को जला नहीं सकता
मेरी आंखों से पढ़ लो मेरी दास्ताँ
मुझपे क्या गुजरी मैं सुना नहीं सकता
मुह्ज्को ऐसे न देखो दिल की ख्वाहिशों
अब मैं तुमसे नज़र मिला नहीं सकता
ज़िन्दगी अपने दम पे चल सके तोह चल
मैं तेरा बोझ अब उठा नहीं सकता
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