हम किसी दीन से हो कायिल-ए-किरदार तो हैं
हम सना खान-ऐ-शाह-ऐ-हैदर-ऐ-कर्रार तो हैं
नाम लेवा हैं मुहम्मद के परस्तार तो हैं
यानि मजबूर पाए अहमद-ए-मुख्तार तो हैं
इश्क हो जाए किसी से , कोई चारा तो नहीं
सिर्फ़ मुस्लिम का मुहम्मद से इजारा तो नहीं
मेरी नज़रों में तो इस्लाम , मुहब्बत का है नाम
अमन का , आशकी की , मैहर-ओ-मुरव्वत का है नाम
कुसत-ऐ-क़ल्ब का , इखलास-ओ-उकुब्बत का है नाम
तख्ता-ऐ-डार पे भी हक-ओ-सदाक़त का है नाम
मेरा इस्लाम नेक-ओ-नाम है बदनाम नहीं
बात इतनी है के बस आम ये इस्लाम नहीं
No comments:
Post a Comment